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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर -

मुंशी प्रेमचन्द की कहानियों में कफन उनकी प्रतिनिधि कहानी मानी जाती है। 'कफन' कहानी के सारांश रूप में कहा जा सकता है कि जिस प्रकार एक मनुष्य भूख के आगे पशु से भी निम्न स्तर पर गिरकर सोचना तथा कार्य करता है। कफन कहानी का सारांश निम्न है-

कहानी के दो प्रमुख पात्र हैं घीसू और माधव। घीसू पिता है और माधव उसका पुत्र है। दोनों ही आलसी और कामचोर हैं। घीसू एक दिन काम करता है और तीन दिन विश्राम। माधव भी आधा घण्टा काम करता है और घण्टा भर चिलम पीता रहता है। गाँव में काम की कमी न थी, परन्तु उन दोनों को कोई मजदूरी पर नहीं बुलाता था। उनका काम था रात में कहीं से लकड़ी तोड़ लाना, खेतों से गन्ने, आलू या मटर चुरा लाना और वे उसी से अपना पेट भरते थे। इनके पास घर के नाम पर एक झोपड़ी थी और बाकी सम्पत्ति के नाम पर घर में मिट्टी के दो-चार बर्तन थे। फटे-पुराने कपड़े पहनकर दिन काट रहे थे। जब बिल्कुल फाँके रह जाते तो कोई न कोई बहाना बनाकर माँगकर खाते थे। जिससे एक बार उधार लिया दोबारा कभी दिया नहीं। यदि कोई मारता पीटता तो उन्हें कोई गम नहीं था। कर्ज से लदे थे तो भी इन्हें कोई चिन्ता नहीं थी। अभिशाप से घिर कर भी आराम से रह रहे थे। प्रेमचन्द इनकी जीवन-शैली पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं "अगर दोनों साधु होते तो उन्हें संतोष और धैर्य के लिए संयम और नियम की बिल्कुल जरूरत न होती। यही तो उनकी प्रकृति थी। विचित्र जीवन था उनका।' घीसू के जीवन से साठ वर्ष निकल गए थे। उसकी नौ सन्तानें थीं परन्तु उनमें से केवल माधव ही बचा था। अब माधव भी अपने पिता के कदमों पर चल रहा था। मानों अपने पिता का नाम रोशन कर रहा हो।

गत वर्ष ही माधव की शादी हुई थी। उसकी पत्नी अत्यन्त भोली एवं मेहनती थी। उसने आकर उनके खानदान को कुछ व्यवस्थित किया था। वह लोगों के घरों के काम करती और मजदूरी करके इन दोनों का पेट भरती थी। अब ये दोनों ज्यादा आराम-परस्त हो गए थे। विवाह के एक वर्ष पश्चात् माधव की पत्नी बुधिया प्रसव वेदना से कराह रही थी और झोंपड़ के बाहर बाप-बेटे दोनों कहीं से चुराकर लाए आलुओं को भून रहे थे। सर्दी की ठण्डी रात थी। गाँव सोया पड़ा था। झोंपड़ी के अन्दर बुधिया प्रसव वेदना से चिल्ला रही थी। वह इतनी पीड़ाग्रस्त थी कि सुनने वाले का दिल दहल जाता था। परन्तु वे दोनों भूने हुए आलू खाने में लगे हुए थे। दोनों में से कोई बुधिया के पास नहीं जाना चाहता था। उनको एक-दूसरे पर भरोसा नहीं था। घीसू ने माधव को बुधिया के पास जाने के लिए कहा। माधव को भय था कि अगर वह बुधिया को देखने झोपड़ी में गया तो घीसू सारे आलू खा जाएगा। वे बुधिया के तड़प-तड़पकर मरने से चिन्तित नहीं थे। वे सोच रहे थे कि अगर बुधिया मर जाए तो अच्छा ही होगा, क्योंकि वह इन सब दुःखों से मुक्त हो जाएगी।

आलू खाने के बाद दोनों ने पानी पीया और वहीं चादर ओढ़ कर सो गए। बुधिया की कराह को उन्होंने अनुसुना कर दिया। बेचारी रातभर तड़पती रही और अन्ततः उसके प्राण पखेरू उड़ गये। उसका बच्चा पेट में ही मर गया था। सुबह उठकर देखा तो मरी पड़ी बुधिया के मुख पर मक्खियाँ भिनक रही थीं। सारा शरीर लहू से सना हुआ था। दोनों ने बनावटी रोना प्रारम्भ किया। गाँव इकटठा हो गया। कोई मृत बुधिया को देखता, तो कोई उन्हें सांत्वना देता था। अब उन्हें बुधिया के दाह संस्कार के लिए लकड़ियों और कफन की चिन्ता थी।

दोनों रोते-रोते जमींदार के पास गए। आँखों में दीनता के आँसू भरकर घीसू ने जमीन पर सिर रखकर कहा "सरकार ! बड़ी विपत्ति में हूँ। माधव की घरवाली गुजर गयी। रात भर हम उसकी सेवा करते रहे, दवा दारू से जो भी हो सका, सब कुछ किया। मुदा वह हमें दगा दे गयी। आपका गुलाम हूँ। अब आपके सिवा कौन उसकी मिट्टी पार लगाएगा?" जमींदार उन से घृणा करता था। तथापि उसने दो रुपये फेंक दिये। फिर जमींदार की देखा-देखी बनिए महाजनों ने पैसे दिए। कुल पाँच रुपये जमा हो गये। कहीं से अनाज मिल गया, किसी ने लकड़ी दी। आज पहली बार वे पाँच रुपयों के मालिक बने थे। दोपहर को वे कफन खरीदने बाजार चले गये। बाजार जाकर वे सोचने लगे कि कोई हल्का सा कफन ले लें। लाश उठाते हुए रात हो जाएगी, तब कफन पर किसका ध्यान जाएगा? उनके मन में विचार आया कि "कैसा बुरा रिवाज है कि जीते जी तन ढाँकने को चीथड़ा तक न मिला, उसे मरने पर कफन चाहिए। कफन देखते देखते संयोग से वे मधुशाला (शराबखाना) के पास पहुँच गए उन्होंने शराब की एक बोतल खरीद ली। सामने की दुकान से पूड़ियाँ और चटनी भी खरीदी। दोनों अपनी भूख को शान्त करने लगे। बीच- बीच में उन्हें कफन की भी चिन्ता हुई। उन्होंने सोचा कि पड़ोसी कफन का तो प्रबन्ध कर ही देंगे। हाँ अबकी बार उन्हें पैसे न मिलेंगे। आज बहुत दिनों बाद भरपेट खाने के बाद माधव ने बची हुयी पूड़ियों की पत्तल भिखारी को दे दी जो खड़ा उनकी ओर भूखी आँखों से देख रहा था। किसी को देने के गौरव आनन्द और उत्साह का अनुभव उन्हें जिन्दगी में पहली बार हुआ था। घीसू ने कहा, "ले जा, खूब खा और आशीर्वाद दे। अन्त में दोनों भोजन और नशे में मस्त होकर नाचने तथा गाने लगे

"ठगिनि क्यों नैना झमकावे ! ठगिनी !

मधुशाला में सभी उनको देख रहे थे। वे उछले भी, कूदे भी गिरे भी, मटके भी, भटके भी और आखिर नशे में मदमस्त होकर वहीं गिर पड़े। कहानी समाप्त हो जाती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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